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© 2014 Dr R S Mann
होम्योपैथी, चिकित्सा का एक ऐसा सिस्टम है, जिसमें दवायें रोगों के लिये
नहीं बल्कि उस रोगी को आधार बनाकर दी जाती हैं. यानि एक ही रोग
में सभी रोगियों को एक ही दवा नहीं दी जा सकती बल्कि दवा हर रोगी के
अलग-अलग गुण-दोषों के आधार पर तय होती है. इसे ऐसे समझें कि मौसम
के बदलाव पर होने वाले जुखाम, बुखार और खाँसी के अलग- अलग रोगियों
को अलग-अलग दवायें मिलेंगी, होम्योपैथी में सभी का बुखार उतारने के लिये
ऐलोपैथी की तरह पैरासिटामोल नहीं है. प्रत्येक व्यक्ति एक ही रोग की स्थिति
में भी अलग-अलग ढंग से लक्षण प्रकट करता है. यानि होम्योपैथी, 'रेडीमेड'
नहीं बल्कि 'टेलर मेड' मेडिसिन है.
अन्य चिकित्सा विधियों में रोग का डायग्नोसिस ही चिकित्सा का आधार होता है,
यानि एक बार रोग का पता लग जाये तो दी जाने वाली दवायें हर रोगी के लिये
एक जैसी ही होतीं हैं. लेकिन होम्योपैथी में ऐसा नहीं है. दवा का चुनाव रोगी के लक्षणों
पर आधारित होता है. तो क्या एक ही रोग में लक्षण भी भिन्न- भिन्न होते हैं?
उदाहरण के लिये बुखार की बात करते हैं - बुखार के एक रोगी को ठंड लग कर बुखार
आता है लेकिन फिर भी ढकना उसे अच्छा नहीं लगता, लेकिन दूसरे रोगी को
ठंड लगने पर ढकने पर आराम मिलता है, तीसरे रोगी को ठंड लगते समय बहुत
प्यास लगती है. चौथा रोगी बुखार आने पर प्यास की शिकायत करता है और पाँचवां
पसीना आने पर पानी पीना चाहता है. इनमें से किसी रोगी को जरा सा हिलने पर ही
ठंड और कंपकपी बढने लगती है जबकि दूसरे रोगी को ठंड लगने पर पैर हिलाने से
आराम रहता है. ये सभी रोगी हो सकता है मलेरिया से पीङित हों लेकिन लक्षणों में
इन मामूली अंतरों की वजह से अलग- अलग होम्योपैथिक दवाओं से ठीक होंगे. जबकि
अन्य चिकित्सा विधियों में लक्षणों का ये मामूली अंतर कोई महत्व नहीं रखता.
इसी प्रकार माइग्रेन सिरदर्द के रोगियों में भी लक्षणों की भिन्नता अलग- अलग
दवाओं की ओर इशारा करती है. दर्द के विभिन्न प्रकार जैसे- कटने जैसा दर्द, हथौङे से
पीटने जैसा दर्द, कीलें चुभने जैसा दर्द आदि. इसी प्रकार सिर के अलग- अलग भाग में
होने वाले दर्द अलग- अलग दवाओं के चुनाव की ओर इशारा करते हैं. सिरदर्द के एक
रोगी को लेटने से आराम मिलता है लेकिन दूसरे का दर्द लेटने से बढ जाता है, एक
रोगी को सोने से सिर दर्द ठीक हो जाता है जबकि दूसरे रोगी का दर्द हमेशा नींद
में ही शुरु होता है. इस प्रकार लक्षणों की मामूली भिन्न्ता और लक्षणों के विभिन्न
समूहों के आधार पर होम्योपैथिक दवाओं का चयन होता है जो कि रोगी को ठीक
करती हैं.
इस प्रकार होम्योपैथी दवाओं का चयन रोग के डायग्नोसिस पर निर्भर नहीं करता बल्कि
रोगी किस प्रकार के लक्षण प्रकट करता है उसी के आधार पर होम्योपैथिक दवायें दी
जाती हैं.
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