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Feb 12, 2012

होम्योपैथी: प्रमाणित विज्ञान या केवल “मीठी गोलियाँ”



भ्रान्ति १: होम्योपैथी एक अप्रमाणित विज्ञान है ?

तथ्य: होम्योपैथी प्रायोगिक फार्माकोलाजिकल व क्लीनिकल आंकड़ों पर आधारित है. वर्षों से होम्योपैथिक दवाओं को उपचार में उनकी क्षमता के लिए गहन रूप से अध्ययन किया गया है. भारत के साथ-साथ कई देशों में क्लीनिकल अध्ययन किये गए हैं. वास्तव में एलोपैथी शब्द की शुरुआत होम्योपैथी के संस्थापक द्वारा की गई थी. होम्योपैथी एक प्रमाणित विज्ञान है.

भ्रान्ति २: होम्योपैथिक दवाएँ मात्र मीठी गोलियाँ हैं जो केवल प्लेसबो की तरह काम करती हैं और इसका कोई चिकित्सीय महत्त्व नहीं है.

तथ्य: सफेद चीनी की गोलियों का कोई चिकित्सीय महत्त्व नहीं होता. लेकिन ये दवाइयों के लिए वाहक का काम करती हैं, जो एल्कोहल पर आधारित होती हैं. होम्योपैथिक दवाओं को सीधे मुंह में या पानी में मिला कर भी लिया जा सकता है. होम्योपैथिक दवाओं का विश्व भर में वैज्ञानिक रूप से अध्ययन किया गया है और इनको विभिन्न तरह के रोगों में प्रभावी पाया गया है. यह प्लेसबो नहीं है.

भ्रान्ति: होम्योपैथी धीरे धीरे असर करती है और इसे बुखार, डायरिया, खाँसी, जुकाम, मलेरिया इत्यादि के गंभीर मामलों में प्रयोग नहीं किया जा सकता है.

 तथ्य: होम्योपैथी गंभीर रोगों में तेज़ी से काम करती है. संक्रमणों (Infections), बुखार, जुकाम, दर्द इत्यादि का उपचार करने में होम्योपैथिक दवाएं प्रभावशाली ढंग से एवं तेज़ी से काम करती हैं. दुर्भाग्यवश, लोग होम्योपैथ के पास तभी जाते हैं जब उनके रोग काफी पुराने हो चुके होते हैं, एवं अन्य चिकित्सीय उपचार ठीक कर पाने में नाकाम हो चुके होते हैं, स्वाभाविक रूप से इन रोगियों में उपचार में अधिक समय लगता है. इसके अलावा अधिकाँश लोग गठिया, एलर्जीयुक्त अस्थमा, पुराने त्वचा रोगों, पुराने पेट के रोगों  इत्यादि के मामलों में होम्योपैथी का प्रयोग करते हैं जिनके उपचार में कोई भी अन्य दवा लेने पर भी लम्बा समय लगता है.

भ्रान्ति: होम्योपैथी एक जादुई उपचार है जो किसी भी रोग को ठीक कर सकती है.

तथ्य: चिकित्सा के अन्य क्षेत्रों के सामान होम्योपैथी की भी अपनी सीमाएँ हैं. उदाहरण के लिए यह उन रोगों के उपचार में काम नहीं आती जहाँ आकस्मिक दुर्घटनावश शल्य चिकित्सा करनी आवश्यक होती है.

भ्रान्ति: होम्योपैथिक चिकित्सक नीम हकीम होते हैं जिन्हें चिकित्सा के क्षेत्र में औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त नहीं होता.

तथ्य: विश्व के अधिकाँश भागों में प्रशिक्षित चिकित्सक ही होम्योपैथिक चिकित्सा करते हैं. भारत में 164 से अधिक होम्योपैथिक कॉलेज, जो स्नातक स्तर तक तथा 33 कॉलेज स्नातकोत्तर स्तर तक शिक्षा उपलब्ध कराते हैं. वर्तमान समय में देश में 2 लाख 17 हज़ार प्रशिक्षित होम्योपैथ हैं.

भ्रान्ति: होम्योपैथिक उपचार के दौरान  रोगी को सख्त परहेजों का पालन करना पड़ता है.

तथ्य: कुछ रोगियों को प्याज, लहसुन, कॉफी, तम्बाकू, एल्कोहल आदि से दूर रहने की सलाह दी जाती है क्योंकि ये सभी पदार्थ कुछ होम्योपैथिक दवायों के कार्य में रुकावट डालते है. लेकिन ये परहेज प्रत्येक रोगी पर लागू नहीं होते. वैसे एल्कोहल और तम्बाकू से परहेज करना अनेक प्रकार के रोगों और कैंसर से बचाता है.

भ्रांति : होम्योपैथी पहले रोग को बढ़ाती है, फिर ठीक करती है।

तथ्य : यह अत्यधिक प्रचलित मिथ्या धारणा है। ऐसा प्रत्येक मामले में तथा हमेशा नहीं होता है, लेकिन यदि औषधियाँ जल्दी-जल्दी या आवश्यकता से अधिक ली जाएँ तो लक्षणों की तीव्रता में वृद्धि हो सकती है। जैसे ही औषधि को संतुलित मात्रा में लिया जाता है, तीव्रता में कमी आ जाती है। यही नहीं, जब कोई रोगी लंबे समय तक ज्यादा तीव्रता वाली एलोपैथिक औषधियाँ जैसे स्टिरॉयड आदि लेता रहा है और होम्योपैथिक चिकित्सा लेते ही स्टिरॉयड एकदम से बंद कर देता है तो लक्षणों की तीव्रता में वृद्धि हो जाती है।


भ्रान्ति: होम्योपैथी केवल पुराने जटिल रोगों में ही उपयोगी है.

तथ्य: प्राय: ऐसा होता है कि जब बाकी सारे उपचार असफल हो जाते हैं तो रोगी होम्योपैथिक चिकित्सक से उपचार लेने आते हैं और ठीक भी होते हैं. लेकिन इस मान्यता का वास्तविक कारण यह है कि लोग होम्योपैथी को तब अपनाते है जब बाकी सब उपचार पद्धतियाँ असफल हो जाती हैं. बरसों के एलोपैथी उपचार के बाद कोई रोग जटिल व पुराना हो जाता है. अब इसके इलाज में शुरुआत की अपेक्षा अधिक समय लगेगा ही. इसलिए यह धारणा बन चुकी है कि क्योंकि होम्योपैथी ठीक करने में अधिक समय लेती है इसलिए यह सिर्फ पुराने जटिल रोगों के लिए ही उपयुक्त है.

भ्रान्ति : होम्योपैथ सभी तरह के रोगों के लिए एक ही तरह की सफ़ेद गोलियाँ देते हैं. वास्तव में ये प्रभावशाली कैसे हो सकती हैं?

तथ्य: सफ़ेद मीठी गोलियां Milk Sugar/ Cane Sugar की बनी होती हैं. होम्योपैथ, रोगों के आधार पर विभिन्न प्रकार की दवाइयों को इन गोलियों में डालते हैं, ये मीठी गोलियाँ शरीर में दवा पहुंचाने के लिए माध्यम का काम करती हैं. प्रत्येक रोगी को दी जाने वाली वास्तविक दवाएं अलग अलग होती हैं.

भ्रान्ति: क्या वास्तव में होम्योपैथिक दवाइयों के कोई कुप्रभाव नहीं होते?

तथ्य : होम्योपैथिक दवाइयों के कुप्रभाव नगण्य होते हैं. लेकिन गलत ढंग से या जरुरत से अधिक प्रयोग से ये दवाएँ भी नुकसान पहुंचा सकती है.





   





  

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